फिर क्यू मंदिरों में खून कि नदिया है बही!
इबादत का मतलब हैवानियत तो नही,
फिर क्यू मस्जिदों जिंदगिया मैफुज न रही!
क्यू मौत का साया जर्रे जर्रे पर बसा,
क्यू हवाओं को जहेर ने इस कदर है डसा!
नजर यह किसकी वतन पर लगी,
किसने कि यह अजब सी ठगी!
पूछें यह दिल बेचैन मेरा,
क्यू रात के अंधेरे खोया सबेरा!
तुमको अगर कुछ मालूम हो भाई,
बता दो यह आग है किसने लगाई!
धर्म कि परिभाषा नफरत तो नही,
फिर क्यू मंदिरों में खून कि नदिया है बही!
इबादत का मतलब हैवानियत तो नही,
फिर क्यू मस्जिदों जिंदगिया मैफुज न रही!
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