Saturday, November 9, 2013

बारूदी फसल

बारूदी फसलो ने उगली सिर्फ नफ़रत की आग है
आँखों में मायूसी पनपी और सारे सपने खाख है
जिन हाथो डोर थमायी उसकी नियत नापाक है
माली मौत के सौदागर और रोता सारा बाग़ है
सफ़ेदपॉश खद्दर के पीछे न जाने कितने दाग है
सत्ता और सियासत में सिर्फ बटवारे के राग है
दो टुकड़ो में भारत बाँट अंग्रेजो ने एक वार किया
भारत की सियासत में नेताओ को हथियार दिया
हिदुस्तान पाकिस्तान अब दो टुकड़ो में घरबार है
सौ सौ टुकड़े करने को अब यह सत्ताधारी तैयार है
 धर्म बड़ा और अस्मत छोटी मिट्टी रौंदी इज्जत है
खुद ऊपर वाल दाँव लगा है दंगे मंदिर मस्जिद है
जिसने आग लगायी दिलो में क्युँ गद्दार वही कबूल है
निर्दोषो के दामन चुभते क्युँ दहशत के शूल है
बदलो यह दस्तूर पुराना हर हारे पल की मांग है
मत बोल अकेले क्या बदलेगा झूठा कोरा स्वांग है
बारूदी फसलो ने उगली सिर्फ नफ़रत की आग है
आँखों में मायूसी पनपी और सारे सपने खाख है











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