- खोज सकारात्मक व्यक्तित्व और नजरिये की, परिणाम असफलता, आख़िर यह कैसी विडम्बमना है की हम बात खोज की करते है और स्वम में ही अधूरे नजर आते है कितने ही मौके आते जब शंशय से ख़ुद को घिरा पाते है, लाख कोशिसो के बाद भी सकारात्मक सोच जीवन का पहलू नह...ीं बनती और सच्चाई का आइना नकारात्मक पहलुओं की बुनियाद को मज़बूत कर देता है, आदमी चाहे या ना चाहे कोई न कोई मजबूर करता है विरोधाभास के लिए, उदाहरण के लिए यदि आप मन बना ले की किसी से झगड़ना नहीं है परंतु यह आप पर निर्भर नहीं करता क्योँकि यदि सामने वाले की फितरत में वाद विवाद कुट कुट कर भरा है तो आप के मौन रहने की अवधि ख़ुद-बा-ख़ुद न्यूनतम हो जायेगी और आप ख़ुद को बहस करने वालों की श्रेणी में खड़ा पायेंगे! कटु सच्चाईयों से भरे इस समाज में कोटि कोटि के व्यकितित्व शामिल है कुछ झगड़ालु, कुछ हर बात को बहस की हद तक ले जाने वाले, कुछ पुराने विवादों को पालने पोसने के आदि तो कुछ को जीत का आनंद ही अपनी बात मनवाने में आता है अपितु वह् ग़लत ही क्यो न हो, ऐसे में जो आप से बड़े ओहदे पर है उन्हें झेलना मजबूरी है और यदि आप से छोटे या समकछ है तो न चाहते हुए भी खिच खिच स्वाभाविक है, तो यह उपाय भी निर्थक है की एक चुप तो हजार चुप क्योकी मजबूर करने वाले हालत बिन बुलाये मेहमान की तरह आपके जीवन के इर्द गिर्द ही मँडराते है जिनसे हम आप चाह के भी नहीं बच पाते है आौर असफल खोज जारी रहती है सकारात्मक व्यक्तितव की................ सकारात्मक सोच की………………सकारात्मक रवइये की………..असफल परिणाम के साथ
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Saturday, December 29, 2012
खोज
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