इनसान कि फितरत का अजब तमाशा तो देखो,
किसी को भी अपनी चोट इतना दर्द नही देती,
जबकि दुजे के उभरने पे खूने आँसू रुला देती!
ख़ुद से बेखबर लोगो के लिए जिज्ञासा तो देखो,
साथी साथ नहीं गैरियत का आँखों में कुहासा तो देखो!
अजब गैरियत मामुली बात पर रिश्ते भुला देती है,
जाने क्यू अपनी ही बात अपनों को रुला देती है!
इनसान कि फितरत का अजब तमाशा तो देखो,
किसी के लबो पर मुस्कान से हताशा तो देखो!
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