जिस व्यक्ति का ईमानदारी से दूर दूर तक का साप्ता नही होता वही सच्चाई का ठेका लिए घूमता है, उस हमाम में नंगे आदमी को हर एक के उपर केवल झूठ का पर्दा दिखाई पड़ता है, मुश्किल यह है कि वह ख़ुद कभी अपना चहेरा आइने में नहीं देखना चाहता और अपनी ही सच्चाई से भागता रहता है जिसका खामियाजा उसके अपनों को बेवजह ही झेलना पड़ता है, आज यह सवाल उठता है गलतफहमी कभी कभार हो सकती है पर जब तरह तरह कि गलतफहमी के अम्बार कोई अपनों पर थोपना शुरू कर दे तो उसे हम गलतफहमी का दर्जा नही दे सकते क्योकि ऐसे शक्की लोग रिश्तों का मजाक उड़ानें के सिवा कुछ नही करते, ध्यान रहे ऐसे लोग आपके अपने नही बल्कि मौका परस्त होते है इसलिए समझदारी इसी में है कि समय रहते ऐसे महान लोगो से किनारा कर के संबंधों कि धज्जिया उड़ने से बचा लेना चाहिये क्योकि जिन्हें आप पर आज विश्वास नहीं कोई जरूरी नही कल आप उनका विश्वास जीत पाएँगे दूसरी अहम बात ताली दो हाथों कि देन है एक हाथ कि ताली बेफ्कुफी भरा प्रयास है और जहा तक मेरा मानना है कोई अपने आप को बेफकुफो कि जमात में शामिल नही करना चाहेगा!

अपने इर्द गिर्द देखोगे तो इस सच्चाई से रूबरू हो जाओगे और यह भी हो सकता है यह आपकी अपनी सच्चाई हो, यदि लगे यह तुम्हारे भीतर कि सच्चाई है तो इसे बदल कर अपना आने वाला कल बदल लो ताकि जो दुरिया संबंधों में आई है वह मिट सके!
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