जाने प्रभु कैसी लोगो कि माया!
क्यू दुजे कि प्रगति से जलती काया!
जो इंसा एक कदम भी न बढ़ पाया!
और न बढ़ने का प्रयास ही भाया!
हा जल भून बैठा देख प्रयास पराया!
अपने दुःख में दुखी नही है भाया!
पर दुजे का सुख कभी देख ना पाया!
जाने प्रभु कैसी लोगो कि माया!
क्यू दुजे कि प्रगति से जलती काया!
क्यू दुजे कि प्रगति से जलती काया!
जो इंसा एक कदम भी न बढ़ पाया!
और न बढ़ने का प्रयास ही भाया!
हा जल भून बैठा देख प्रयास पराया!
अपने दुःख में दुखी नही है भाया!
पर दुजे का सुख कभी देख ना पाया!
जाने प्रभु कैसी लोगो कि माया!
क्यू दुजे कि प्रगति से जलती काया!
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