Saturday, November 9, 2013

सफ़ेद कुर्ते जहरीली मुस्कान

लो आ गए फिर नकली चहरो के साथ
ठगने को तैयार है वही पुरानी बात
रगीन बैनर सफ़ेद कुर्ते जहरीली मुस्कान
अपने अपने दल की लेकर बात बखान
छा गए लोग हर गली हर बस्ती में
चमचो की जेब गर्म पीछे पीछे मस्ती में
सबको मालुम यह रैला बस चार दिनों का
फिर देखे कौन बनेगा हमदर्द  किसी का
तंगहाली को दूर करेंगे वादे सारे कोरे है
अपने घर को भर लेंगे नेता बड़े छिछोरे है
बीते वक्त न बदल सकी क्या बदले वह जात
सब कुछ हथियाने को बढ़ते इनके पापी हाथ
निरी अमावस जनता की इनकी चांदनी रात
चोर चोर मौसेरे भाई छोड़े न संग साथ
छोड़े न संग साथ भ्रष्ट सब नेता है
मतलब के खातिर बेचे, देश विक्रेता है
लो आ गए फिर नकली चहरो के साथ
ठगने को तैयार है वही पुरानी बात

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