वक्त बेवक्त तुम्हारी याद
मुझे
तड़पाती रुलाती तेरी याद
तुम्हे
भी आती होगी कभीकभी
भूली बिसरी पर मेरी याद
मै लिखता तेरा नाम
अनगिनत कोरे कागज पर
पर आँखों
से बहते आँसू,
फिर कोरे के कोरे करते,
बह जाते
हर अक्षर के साथ
और रह
जाती बस तेरी याद,
नींद
कभी की ओझल है
मन कि
दशा कहूँ क्या आज
सोते
जागते मन में बसती
प्रिय
विरह कि निष्ठुर याद,
तुम किस
कारण बँधी हुयी
इसका मुझे अन्देशा नहीं
पर मन मेरा यह कहता है
मन तेरे भी बसी हुयीं है मेरी याद……………….
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