माँ के कर्ज़ में तो डुबा यह सारा का सारा संसार है!
माँ ही है जिसने दिया बिना ब्याज प्यार ही प्यार है!
धरती पर जीवन की अमिट धारा बहाने वाली
कैसे बनी बेटा और बेटी के अन्तर को लजाने वाली
इस दिवस पर इस मनन कि भी आज जरूरत है
माँ तो माँ है उससे तो बेटा बेटी दोनों को मोहब्बत है
क्यू बेटी कहती मा मुझे भी इसी कोख में जनने दो
नौ मास की अवधि में परिपक्वता से पलने दो
जीवन पाई तो मै भी संसार रचयिता कहलाउंगी
वर्ना भ्रूण परिक्षण पश्चात नाहक बलि चढ़ जाऊँगी
माँ मेरी भी सांसो में साँसें भर दो
है अभी सूनी शिराये रगो में लहू भर दो
अनमोल दिवस की बेला पर मेरी माँ
मेरा भी महामंडित मार्तदिवस करदो
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