- अपने हौसले कर इतने बुलंद कि वक्त भी लोहा माने
किसी का मोहताज न हो तुझे लोग तेरे नाम से जाने
वह इनसान ही क्या, जो लगे अपनी ही पहचान छुपाने
हवा का रुख काट दे जो लगे तेरी बुनियाद को हिलाने
यु ही वजूद मिटने न दे यारा लाख बदले तेरे ठिकाने
कामयाब शकशियत को कब हिला पाये बदलते जमाने
अपने हौसले कर इतने बुलंद कि वक्त भी लोहा माने
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Sunday, March 31, 2013
हौसले
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