Saturday, December 29, 2012

सियासत के ठेकेदार


  1. Photo: थक गए लोग अब आराम करके
इस लिए खलल करने आ गए 
जो जात वर्ण विभाजन में न थी
नइ कौम पैदा करने को आ गए 
इन्हे अमन से नफरत बड़ी 
इस लिए बारूदी सुरंग ही बिछा गए 
शौक खरीद फरोख़्‍त का इनको
तो चमन की ही बोली लगा गए
सर बदन सफेद पोशाकों से ढके
पर मन की गंदगी जहां में फैला गए
मजबुरियत हालातों के जिम्मेवार
बेबाक बातों की दवा दिला गए
भूख गरीबी कि कगार पर जनता
यह जीते इंसानो की चिता जलाने आ गए
इन्हे सियासत के ठेकेदार कहे
जो सत्ता पर दीमक सा छा गए है
चुनाव का बिगुल क्या बजा
गली गली मेढ़क सा टर्र टरा गए हैथक गए लोग अब आराम करके
    इस लिए खलल करने आ गए
    जो जात वर्ण विभाजन में न थी
    नइ कौम पैदा करने को आ गए
    इन्हे अमन से नफरत बड़ी
    इस लिए बारूदी सुरंग ही बिछा गए
    ... शौक खरीद फरोख़्‍त का इनको
    तो चमन की ही बोली लगा गए
    सर बदन सफेद पोशाकों से ढके
    पर मन की गंदगी जहां में फैला गए
    मजबुरियत हालातों के जिम्मेवार
    बेबाक बातों की दवा दिला गए
    भूख गरीबी कि कगार पर जनता
    यह जीते इंसानो की चिता जलाने आ गए
    इन्हे सियासत के ठेकेदार कहे
    जो सत्ता पर दीमक सा छा गए है
    चुनाव का बिगुल क्या बजा
    गली गली मेढ़क सा टर्र टरा गए है
    थक गए लोग अब आराम करके
    इस लिए खलल करने आ गए ...................

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