- समुन्दर के सीने में एक डूबने का डर
न जाने किस घड़ी कर गया घर
कस्ती किनारे क्या साहिल को लाये
जब पेंदी का छेंद ख़ुद को डुबाये
मौत कही ताक में नहीं थीं बैठी
आस्तीन के साँप ने इनाम दीं थी
... जो कहँ रहे गरिमा बचाओ घर की
वही नीव रख रहे है नरक की
सियासी हस्तियां है हर महकमा ग़ुलाम इनका
भूख और गरीबी भी इनाम इनका
मन्दिर की घंटिया इनकी और इमाम इनका
हैसियत-ए दबंगई में नाम इनकाSee more
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Saturday, December 29, 2012
आस्तीन के साँप
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