- दिल्ली गैंगरेप पीड़िता को बचाने की हर मुमकिन कोशिश नाकाम हो गई। शरीर के कई अंगों के काम बंद कर देने से शनिवार तड़के सिंगापुर के अस्पताल में उसका निधन हो गया। दामनी की मौत की ख़बर ने पूरे देश को हिला कर रख दिया,हालाँकि मौत की ख़बर कितनी नई या कितनी पुरानी इस पर अटकलें पहले से ही गर्म थीं, देश में जिस तरह से यह शर्मनाक घटनाक्रम हुआ लोगो में आक्रोश और सही इंसाफ की इच्छा प्रबल हो गयी, मेरी देश की का...नून व्यवस्था से विनय अपील है की दामनी की मौत के बाद वह दरिन्दे जो इसके जिम्मेदार है उन्हें भी साँस लेने का हक नहीं है अतः कानून के किसी प्रावधान के तहत तुरंत खुले आम सजाये मौत जैसा ठोस कदम उठाया जाना चाहिये.........ताकि यह अपराध अपराधियों की सूची से मिट जाए और जिंदगी की जद्दोजहत से हारी दामनी और उसके परिवार को कुछ राहत मिल सके, सवेदनशील इस घड़ी में मै इतना ही कहूँगा आज हर माँ बाप ने अपनी उम्मीद को खॊया है जिसकी पूर्ति नेताओं के भाषण से नहीं बल्कि उपयुक्त कदम से ही हो सकती है...............भगवान दामनी के परिवार को शक्ति दे और उसकी आत्मा को शांति............अरुन गर्ग के झकझोरने वाले शब्द.................. *दामिनी ,नहीं रही -- जिन्दगी की जंग ,दामिनी नहीं -मेरे जैसे माँ -बाप हार गए हैं ****
भारत का लोकतंत्र हार गया है -समाज हार गया है -और हैवान -फिर से जीत गए हैं -उसकों हैवानो ने मुर्दा सा तो पहले ही कर दिया था -
सरकार ने भी देश को धोखा दिया .इतनी संवेदनहीनता ????
सामाजिक सुधार जरुरी हैं -पर उसमे समय लगेगा-तो कोई ज्यादा भाषण ना दे
***वर्तमान में जरुर...ी है -
1-इन 6 शैतानों को खुले आम फांसी दो
2- सरकार तुरंत -कानून पास करे ,जिसमे फांसी की सजा हो-और पीडिता व् उसके परिवार की सुरक्षा का भी प्रावधान हो
3- और जो नेता - बकवास कर रहे हैं -उनको जेल में डाला जाएँ- और मुकदमा चला कर -उनको चुनाव ना लड़ने दिया जाए
4- संसद में जिनके ऊपर "बलात्कार "के मुकदमे चल रहे हैं उनकी संसद सदस्यता ख़त्म की जाए.....और जब तक कोर्ट
का फैसला ना आयें , वो कोई चुनाव ना लड़ संकें
.............और काम बाद में .....
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Saturday, December 29, 2012
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment