- अरे भाई जब से हुयी है शादी तब से ही खड़ी खाट है
और आज उसी खड़ी खाट कि आठवीं वर्षगाँठ है
हर समय नजर उनक़ी और आजादी की बंदरबाँट है
जमाने में चलती मेरी पर घर में हर बात की काट है
क्योँकि मियां तो बीबी के आगे एक रिजेक्टेड लाट है
यह तो घर घर ...की कहानी है न जाने क्यू मन उचाट है
अविवाहितो से होती जलन जिनके अभी तलक ठाठ है
एक हम जिसकी आज शादी की आठवीं वर्षगाँठ है
क्योँकि जब से हुयी है शादी तब से ही खड़ी खाट है
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Monday, August 13, 2012
आजादी की बंदरबाँट
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