Monday, August 13, 2012

आँखों को बहने दो


  1. क्यू लबो की हँसी कुछ और कहती है
    तेरे ख्यालो में उदासी छुपी रहती है
    इन्हे छुपाओ मत कुछ कहने दो
    पीर पिघल जायेगी आँखों को बहने दो
    तुम्हे क्या लगता तुम्हारा खयाल नहीं
    तेरे गम से दिल में मलाल नहीं
    ...
    कभी तन्हाईयों में कभी रुसवाइयो में
    तुम्हे किया शामिल हर बारीकियों में
    तुम ही बस हाले दिल समझ न सके
    मेरी चाहतों के क़रीब पहुँच न सके
    जिसे तू चाहे वह भी तहे दिल निभाये
    तो मै खुश हूँ सनम की तू खुशी पाये
    पर मेरे दिल को यह गवारा नहीं
    तेरी मुहब्बत को किसी ने शीशे में उतारा नही
    तू तड़पता रहा खुले जख्मों की तरह
    तेरे दर्द से इस दिल में होती है सिरह
    जज्बातो की चोट मुशकील से संभलती है
    आ भी जा की मुहब्बत इंतज़ार करती है
    क्यू लबो की हँसी कुछ और कहती है
    तेरे ख्यालो में उदासी छुपी रहती है
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