- गीत लबो ने जो गुनगुनाये
तो तुम याद आए
हुयीं नाकाम हर सदाये
पर तुम नहीं आए
अश्क आँख में जब आए
हम इस उम्मीद से नहाये
...की जो तेरी याद में आए
उसे कैसे पी जाए
ये सोच समंदर बहाये
पर तुम नहीं आए
अजब उदासियो के साये
पर इश्क न लड़खराये
रहे नजरों को हम बिछाये
ख्वाब बुनती यह निगाहें
हर सदा निहारती राहे
पर तुम नहीं आए
गीत लबो ने जो गुनगुनाये
तो तुम याद आए
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Monday, August 13, 2012
तुम याद आए
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2 comments:
khub
Thanks Poonam Ji
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