Wednesday, May 16, 2012

सोचना मुश्किल


है जब सोचना मुश्किल, फिर भला कैसे भुला दोगे
बड़ा आसान लगता था की, हमको यूँही भुला दोगे
अपनी गर्म सांसो से जरा पूछो
दिल के ऐहसासो से जरा पूछो
लिखा तो नाम तुम्हीने था फिर ऐसे कैसे मिटा दोगे
जो नजरे ढूँढती मुझको, वह् निगाहे कबतक चुरा लोगे
प्यार भरे जज्बात से पूछो
बेचैन दिन और रात से पूछो
बंद होठों की चुप्पी से, क्या दिल कि पुकार दबा लोगे
दिल के राज बया हमसे, सनम कब तक छुपा लोगे
क्या है सही अंदाज़ तुम पूछो
ख़ुद दिल के हर राज से पूछो
सनम यह दिल की मर्जी है फिर तुम कैसे भुला दोगे
है जब सोचना मुश्किल, फिर भला कैसे भुला दोगे

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