रात चाँदनी से नहाई
बेला बिखेरती खुश्बू
इस खुशनुमा माहौल में
मेरी उदासिसिया पसरती है
हर तरफ़ चहल पहल
टिमटिमाते सितारों की कतार
धरती पर रौनक चार चांद
पर मन में आह सी उठती है
धरती गगन का संगम
दूर झरनों कि कलकल
मधुर साज़ कि पहल
पर मनमधुर ध्वनि खलती है
तुम साथ नहीं मेरे
तो क्या अन्धेरे क्या उजेरे
किसी से मिलने कि आस् नहीं
मुझे तो आज तन्हाई ही जचती है
हर्ष का अर्थ तुमसे
तुमसे जीवन आकार प्रिय
यदि यह स्वप्न नहीं साकार
तो मुझे हर खुशी झुठी लगती है
बेला बिखेरती खुश्बू
इस खुशनुमा माहौल में
मेरी उदासिसिया पसरती है
हर तरफ़ चहल पहल
टिमटिमाते सितारों की कतार
धरती पर रौनक चार चांद
पर मन में आह सी उठती है
धरती गगन का संगम
दूर झरनों कि कलकल
मधुर साज़ कि पहल
पर मनमधुर ध्वनि खलती है
तुम साथ नहीं मेरे
तो क्या अन्धेरे क्या उजेरे
किसी से मिलने कि आस् नहीं
मुझे तो आज तन्हाई ही जचती है
हर्ष का अर्थ तुमसे
तुमसे जीवन आकार प्रिय
यदि यह स्वप्न नहीं साकार
तो मुझे हर खुशी झुठी लगती है
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