Wednesday, May 16, 2012

मेरा देश खेल का मंच


मेरा देश खेल का मंच कदापि नहीं
पर रोज़ तमाशे सियासत के होते
मेरा देश किसी जंग का मैदान नहीं
पर यहा रोज़ खून खराबे होते
मेरे देश बंदिस-ए धर्म नही
पर धर्म की आड़ में लोग नंगे होते
कब कैसे खो गया मेरे देश का उल्लास
अहम् प्रश्न का जबाब नहीं किसी के पास
मेरे देश में नारी शक्ति के तुल्य
पर रोज़ हम कन्या भ्रूण हत्यारे होते
मेरे देश हरित्‌ क्रांति की कमी नहीं
पर हर रोज़ किसान घर बेघर होते
मेरे देश में विचारों पर पाबंदी नहीं
पर बेरोजगार युवा मौत के हवाले होते
पूछता हूँ क्या यही पहचान बची देश की
किसने ह्त्या की संस्कारों के परिवेश की
किसके हाथों का खिलौना बना देश
कैसे मर गया अन्याय का आवेश
गंदी राजनीति की चड़ा कब भेट
छीन लो क्यू बैठे हाथ समेट
जागो बाल युवा वृद्ध सब जागो
देश तुम्हारा छीन लो मत माँगों
बदलो ख़ुद भी और बदलो समाज
तुमने भी की घिनौनी तसवीर आज
पहला परिवर्तन ख़ुद से ही होगा
मत कहो कि वही होगा जो मंजुरे खुदा होगा
आज नहीं चेते तो कल नहीं शेष
जागो यह तेरा भी देश यह मेरा भी देश

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