Monday, March 12, 2012

खुशियों भरा गांव

लहराती फ़सलें
अपनो के जुमले
खुशियों भरा गांव
नीम की छाव
रात में अलाव
नदियों की नाव
गोरी का घूँघट
छनछनाता पनघट
बालकों का शोर
मदमस्त मोर
सोंधी सी माटी
चोखा और बाटी
हाटो पर रौनक
चिड़ियों की चहक
पतली पगडंडियाँ
चौपाल कि बतिया
बैलो की घंटी
वह ताबीज वह कंठी
रशीद का सलाम
गोपी की राम राम
जाने चड़ा किस दाँव
कहा गया गांव
कहा वह हरियाली
गांव की खुशहाली
वह सादगी का जीवन
बौर खिला उपवन
लुभावना लडकपन
अल्लड़ सा यौवन
चूल्हे की रोटी
जरूरतें थी छोटी
जीना था सस्ता
सबसे था रिश्ता
नहीं था दिखावा
एक सा पहनावा
पर विकास की दौड़ में
तरक्की कि होड़ में
बदला हवा का बहाव
टूटा गाव का लगाव
जाने चड़ा किस दाँव
खुशियों भरा गांव

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