सिरह उठी अंतर्मन पीर! |
देख समस्या गंभीर! |
इटली आगे हल्की भीड़! |
जाने क्यू धीर अधीर! |
सबके चित पत्थर पड़े! |
हम दोनों हाथ जोर खड़े! |
मनमोहन की आड़ में! |
इटली बाला राज करे! |
छलनी करे विदेशी तीर! |
वह री भारत की तक़दीर! |
पराधिन की जकड़ी जंजीर! |
बह गए स्वप्न रह गए नीर! |
सिरह उठी अंतर्मन पीर, |
देख समस्या गंभीर! |
किसके बस है राम राज! |
कौन सवारे अपना आज! |
हमसे मिटी देश की लाज! |
हम्ही करे कुछ ऐसा काज! |
जो परिवर्तन की आँधी हो! |
फिर सैतालिस जैसी क्रांति हो! |
एक सैलाब फिर शांति हो! |
ना दुविधा न भ्रांति हो! |
बुलंद करो भारत की रीड़! |
बदलो चाल यह भेड़ भीड़! |
सुन लो अपनी अंतर्मन पीर! |
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Wednesday, February 8, 2012
अब उत्तर प्रदेश कि राष्ट्र भक्त जनता को तय करना है, उन्हें राम राज्य चाहिए या रोम राज्य??
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