जिनके दम से कोमल कदमों को मिलीं मंज़िल! |
जब हुए वृद्ध तब उनसे कदम मिलाना मुश्किल! |
गिरते पड़ते कदमों को थामने वाले! |
मन भीतर भाव को भापने वाले! |
जीवन की नव राह दिखलाने वाले! |
नवजात शिशु से नवयुवा बनाने वाले! |
इस भरी दुनिया पहचान दिलाने वाले! |
इस अज्ञात धरा के अनरुप बनाने वाले! |
जिनके दम से कोमल कदमों को मिलीं मंज़िल! |
जब हुए वृद्ध तब उनसे कदम मिलाना मुश्किल! |
यह कैसा दुर्भाग्य विधि का पूछता हूँ! |
क्या यही हश्र अपना होगा सोचता हूँ! |
क्यों भूल कर भी यह भूल हमसे होती है! |
क्यों अपने ही दुधजने पर माँ रोती है! |
क्यू पिता के सपने यू टुट कर बिखरते है! |
वक्त की दहलीज़ पर क्यू रिश्ते बदलते है! |
कोमल शिशु के स्वप्न सजाने वाले! |
हर मोड़ हर राह हम्हे सम्भालने वाले! |
ख़ुद से कही ज्यादा हम्हे चाहने वाले! |
निष्ठुर जीवन का हर सही ग़लत बताने वाले! |
जिनके अनुभव हम बनते दुनिया के काबिल! |
क्यू जीर्ण शीर्ण घुटते वह मातपिता तिल तिल! |
जिनके दम से कोमल कदमों को मिलीं मंज़िल! |
जब हुए वृद्ध तब उनसे कदम मिलाना मुश्किल! |
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Sunday, February 5, 2012
मातपिता
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