नन्ही
नन्ही
सोजा आज भूख को भुला दे!
ये दुद्र्शा जीवन सांगनी है!
तू अपनी सहन शक्ति को
जगा दे!
निरासित जीवन किस्म्त की करनी है!
जिस घर तुने आँखें खोली
है!
...
वहा नहीं खुशियों कि झोली है!
मत रो, यु ना विलाप कर!
मान ले दुःख अपने
हमजोली है!
विपदा और मुसीबत संग साथ है!
समाज कि सहमी सकुची अपनी बोली
है!
यू आशा भारी निगाहें तेरी!
देख मै असाहाय घुटति मन में ही!
तेरे मन कि
कुछ कर मै सकूँ!
नन्ही ऐसी किस्मत नही बनी है!
नन्ही सोजा आज भूख को भुला
दे!
ये दुद्र्शा जीवन सांगनी है!
तू अपनी सहन शक्ति को जगा दे!
निरासित
जीवन किस्म्त की करनी है!
गरीब, गरीबी से मरता है!
जब तब फाका करना पड़ता
है!
आदत नही पर जान ले नन्ही,
इतने बड़े जहान में,
अपनी बात नही बननी
है!
यु ही थपेड़े खाने है जीवन के तूफान में!
कैसे दिखलाऊ तुझको सपने!
जो
जन्म साथ दुश्मन है अपने!
जीवन की इस कठिन डगर पर!
सच सामना किया अगर!
तो
आँखों का बहता पानी!
और दुखों में होना जज्बाती!
दोनों ही किनारा कर लेंगे!
मेरा कहा मान ले नन्ही!
हर आग से लड़ना सीख ले नन्ही!
जीवन का यह पहला
पहर है!
अभी तो शुरू हुआ सफर है!
अपने नन्हे से मन को समझा दे!
और हर दिन
प्रतिदिन विपदा दुगनि है!
नन्ही सोजा आज भूख को भुला दे!
ये दुद्र्शा जीवन
सांगनी है!
तू अपनी सहन शक्ति को जगा दे!
निरासित जीवन किस्म्त की करनी
है!
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