अपनी किस्मत को अपने आप लिखो!
जिन्दगी पर एक खुली किताब लिखो!
दूजो कि खामी कहना भाइ बड़ा आसान है!
भूल ना बंदे ख़ुद से ही तू ज्यादा परेशान है!
तो अपनी ही खामी कि फेहरिस्त लिखो!
... ख़ुद से ख़ुद की पाबंदी पर एहतराम लिखो!
गिर कर उठना, उठ कर गिरना यह तजुर्बे-ए जहान है!
पर हिम्मत मर्दे, मर्द-ए खुदा, जो माने वह इंसान है!
नई सोच और बुलंद इरादे अपनी एक पहचान लिखो!
जीत जाए जो अंधेरे से ऐसी एक जबान लिखो!
अपनी किस्मत को अपने आप लिखो!
जिन्दगी पर एक खुली किताब लिखो!
जिन्दगी पर एक खुली किताब लिखो!
दूजो कि खामी कहना भाइ बड़ा आसान है!
भूल ना बंदे ख़ुद से ही तू ज्यादा परेशान है!
तो अपनी ही खामी कि फेहरिस्त लिखो!
... ख़ुद से ख़ुद की पाबंदी पर एहतराम लिखो!
गिर कर उठना, उठ कर गिरना यह तजुर्बे-ए जहान है!
पर हिम्मत मर्दे, मर्द-ए खुदा, जो माने वह इंसान है!
नई सोच और बुलंद इरादे अपनी एक पहचान लिखो!
जीत जाए जो अंधेरे से ऐसी एक जबान लिखो!
अपनी किस्मत को अपने आप लिखो!
जिन्दगी पर एक खुली किताब लिखो!
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