.बुनयादी हक से बेदखल इंसान और घायल कायेनात
हुयी!
...........सियासत कि राह पर ह्जुम कि शय फिर मात हुयी!
.........कोसों दूर उम्मीद से और
बेउम्मीदी से मुलाकात हुई!
.............सही कहा हुजुर आपने के सरकार-ए-ज़फा रात
हुई!
सियासी वादों का क्या,वादा कर मुकर जाना आम बात हुई!
तंग जिदगी जब
अपनी तो उनकी हर सुबह बाराबफात हुई!
..........दिल तोड़ना आदत उनकी और बेमायेने जज़्बात
हुई!
.......आजादी तो नाम की, असल में गुमनामी संग साथ हुई!
...........................बात में दम है के
सरकार-ए-ज़फा रात हुई!
..बुनयादी हक से बेदखल इंसान और घायल कायेनात हुयी!
...........सियासत कि राह पर ह्जुम कि शय फिर मात हुयी!
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