Tuesday, December 13, 2011

संसद कि अवमानना


संसद कि अवमानना सांसद ख़ुद कर रहे है और दोष अण्णा के सर मड़ रहे है, भाइ आज सांसद आपस में जुत बजाते है अभद्र भाषा का प्रयोग करते है सरकार बनाने के लिए ख़ुद का मोल तय करते है करोड़ों में अपने को बेच अपना मत देते है, पद की प्रतिष्ठा को दाँव पर लगा कर घोटाले करते है तब आप ही बताये जो ख़ुद कानून कि धज्जिया उड़ाते है उन्हें सीना चौड़ा कर के यह कहने का अधिकार की कानून संसद में बनता है सड़कों पर नही किस लि...ए दिया जाए? अण्णा जनता का ही प्रतिरूप है जो सियसतगारो से हक कि लड़ाई लड़ रहा है माना वह कानून की पेचिदकी से वाकिफ नहीं है पर जनता के दर्द से रूबरू है और इस नाते उनका विद्रोह जायज है तभी उनके साथ हर प्रदेश, हर वर्ग, हर जाति के लोग कंधे से कंधा मिला रहे है, आने वाले समय में आंदोलन का प्रसार और विस्तार दोनों ही विशाल स्वरूप में परिवर्तित होगा, मेरी अपील देश के सभी भाइ बहनों से है की जुनून कि इस आँधी को दिन और दोगुनी रात चौगुनी बड़ाये अगर देश को भीतरी गद्दारो से बचाना है अण्णा के मंच से कुछ नेताओं ने कहा की सारे नेतो के चरित्र पर उंगली उठाना नाजायज है तो प्रतिउत्तर में कहना चाहुंगा कि यदि उन नेताओं का कोई सहयोगी भ्रष्टाचार के मामले मए लिप्त है और वे अनभिज्ञ बने हुए है तो वे भी भ्रष्टाचार कए भागीदार है इस लिए अपने चरित्र का प्रमारपत्र ना दे बल्कि आकलन करे की वे कहा ग़लत है, यदि आज यह आकलन ख़ुद ना किया तो जनता अब ख़ुद हिसाब मानगेगी!

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