Tuesday, October 18, 2011

जीवन एक पहेली


कुछ को असमंजस में जीना स्वीकार पर कुछ ने मन में ठानी है!
जीवन एक घनघोर पहेली है जिसकी हर उलझन सुलझानी है!
वेदों से यह मिला ज्ञान कि मनु देह वायु अग्नि और पानी है!
फिर भी इन तत्वों के मात्र प्रकोप से होती क्यू खत्म कहानी है!

अजर अमर जब जीव आत्मा फिर क्यू जीवन आनी जानी है!
जो कल तक थे साथ हम्हारे क्यू उनकी कथा अब पुरानी है!
प्रश्न यही कि म्रत्यु उपरांत किस ठोह बसती यह ज़िंदगानी है!
कल अपना भी चिरनिंद्रा है फिर भी मोह माया अजब सी हैरानी है!
बाल्यावस्था चिंतारहित, वृद्ध देह कष्ट भरी और आती याद जवानी है!
मेरे हठी  मन के प्रश्न अनेक, सो अंतरमन को सही दिशा दिखनी है!
कुछ को असमंजस में जीना स्वीकार पर कुछ ने मन में ठानी है!
जीवन एक घनघोर पहेली है जिसकी हर उलझन सुलझानी है!

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