हम आज भी तेरे अपने है प्रिय हमको तो कोई बैर नही!
पर तुमको अपनी ही कहनी और मेरी सुनने का धैर्य नही!
मै हूँ अपना या हूँ पराया जब तेरे मन यह मंथन होगा!
सोचो और बतला दो प्रिय तब कैसे यह गठबंधन होगा!
विश्वास प्रीत कि है डोर प्रिय इसको सच मानोगे कब!
कल याद आयेंगे दोस्त पुराने, जब खो जायेंगे टूट के सब!
तुमने क्या कुछ कहाँ डाला जिसका कोई सर पैर नही!
लोग तमाशा देख रहे कि अपने संबंधों कि अब खैर नही!
हम आज भी तेरे अपने है प्रिय हमको तो कोई बैर नही!
पर तुमको अपनी ही कहनी और मेरी सुनने का धैर्य नही!
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