Tuesday, September 6, 2011

वक्त जरा कम है!

जो देखोगे वैसा दिखेगा तुझे!


जो सोचोगे वैसा लगेगा तुझे!


कहा सब ठीक है, पर सब ग़लत भी तो नही है!


आँख भर आती है तो खुशी मिलती भी यही है!


बदलने के लिये वक्त जरा कम है!


पर तेरे हौसलो में अगर दम है!


तो तेरी तक़दीर भी तुझे नवाजेगी!


वक्त के पन्नों में तेरा लोहा ही मानेगी!


तो जो ग़लत है उसका रोना क्यो!


कोई बदलेगा इसका इंतज़ार है क्यों!


क्यू तुम शुरुवात ख़ुद से नही करते!


क्यू जमाने से बेबुनियादी पहेली हो करते!


चाहोगे तो कुछ अच्छा ही होगा!


मत सोचो वही होगा जो मंजुरे खुदा होगा!


अरे हजुर ये तो बस एक बहाना है!


छोड़ो बहाना, अगर ख़ुद को जगाना है!


कभी कोई तो शुरुवात करेगा!


कभी कोई तो जंग-ए ऐलान करेगा!


याद रहे आज जैसा है पर कल न बरबाद रहे!


अपनी तो बीत गयी पर अपनों का कल आबाद रहे!


यह हकीकत ज्यादा अपील कम है


तो अगर तेरे हौसलो में अगर दम है!


तो चैन मत ले क्युकी वक्त जरा कम है!

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