Wednesday, September 7, 2011

जनता कि चेतावनी


इतने वर्ष बीत गए!!
किया तो कुछ नही, कह दिया तो चुभ गई!
वैसे मिलें नही पर चुनाव में फुर्सत मिल गई!
हर बार कोरे वादे सुन कर जनता भी थक गई!
झूठ कि बुनियाद पर अब तक तो गाड़ी चल गई!
पर आज चेतावनी तुझे के आम जनता बिफर गई!
चुन चुन के हिसाब मांगती अब तेरी खैर नही!
रोज़ नए हुजूम होंगे एक दो आंदोलन नहीं!
तो मशवरा है तुझे के सुधरने का वक्त यही!
अण्णा कौन से दल का है इस बकवास में पड़ नहीं!
रामदेव अन्य दल का मुखौटा यह फिजूल बात कर नही
याद रहे यह जनता ही तुझे उठाती है और मिटा भी सकतीं यही!
भूल मत अमर सिंह है जेल में, तो तुझे भी भेज सकतीं वही!
क्युकि भ्रष्टाचार के तुम पुलिंदे और फँस सकते हो कभी कहीं!
सो चुप रहो और स्वीकार करो, है तेरी भलाई यही!
देखा था आक्रोश तुमने सो भूल मत यह जनता वही!
हिंसा अहिंसा में अ का फर्क भूल ना जये जनता कहीं!
जिस जमी से पैदा हुए पहुचा ना दे वही कहीं!
इसलिए ख़ुद को बदल लो, करो अपने चाल चलन सही!
यह जनता कि चेतावनी है, अभी नहीं तो कभी नही!
इतने वर्ष बीत गए!!
किया तो कुछ नही, कह दिया तो चुभ गई!
वैसे मिलें नही पर चुनाव में फुर्सत मिल गई!

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