कहां कितने खाली पद
प्राथमिक शिक्षक | 6,89,256 |
पुलिसकर्मी | 5,30,580 |
नर्सें (विश्व स्वास्थ्य के मानक के अनुसार) | 24,00,000 |
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन | 1,48,361 |
सेनाओं के अधिकारी | 11,137 |
खुफिया ब्यूरो | 9,443 |
केंद्रीय विद्यालय | 6,374 |
मेडिकल कॉलेज | 6,340 |
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान | 1,693 |
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान | 1,522 |
बेरोजगारी से लोग त्राहिमान है नेताओं कि चल अचल संपत्ति का ब्यौरा करोड़ों में है, सरकारी कर्मचारियों की
जवाबदेही के नाम पर नियुक्तिया अधुरी है यानी देश कि बिगड़ती अर्धव्यवथा शीशे कि तरह साफ़ जगजाहिर
है और ऐसे में सरकार के खिलाफ यदि कोई टिप्पड़ी कर तो विशेषाधिकार के तहत मुकदमे में फँसने के लिए
तैयार हो जाए, सौ कि सीधी बात यह संसद, मंत्री, नेता, एम एल ए बे लगाम घोड़े है और इनका एक मात्र
उद्देश्य केवल अपना स्वार्थ!
यह नियुक्तिया अधूरी क्यों है इसका जबाब कौन देगा और इन अधूरी नियुक्तियों के परिणामस्वरूप विभागों
कि विफलता का भुगतान आख़िर जनता क्यों और कब तक भुगते, यह निकम्मी सरकार क्या मौन रह कर
अपना पल्ला झाड़ लेगी या जनता के सामने अपनी जबाबदेही का दायित्व निभायेगी?
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