Friday, July 29, 2011

साथी कुछ ना कुछ तो कहना होगा!


ज्यादा की दरकार नही पर ....
साथी कुछ ना कुछ तो कहना होगा!
एक अकेला थक जयेगा...
साथी तुझको भी संग चलना होगा!
हवा चली बदलाव की...
साथी तुझको भी संग बहाना होगा!
माना कठिन यह अग्निपथ है....
लथपथ हो कर भी सहना होगा!
बड़ चली अब क्रांति कि रैली...
साथी अंत तलक संग रहना होगा!
वर्तमान का जंगलराज....
साथी मर मिट के ही मिट पायेगा!
संघर्षों को संकल्प बना....
साथी तभी घोर अंधेरा मिट पयेगा!
नाव निर्माण हाथ में तेरे.....
साथी आगे बड़ तू भारत माँ का गहना होगा!
ज्यादा की दरकार नही पर ....
साथी कुछ ना कुछ तो कहना होगा!
एक अकेला थक जयेगा...
साथी तुझको भी संग चलना होगा! 

"नीरज कि पाति"
                    

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