Friday, July 29, 2011

"आत्मदाह"


"आत्मदाह"

एक गरीब बड़ी लालच भरी निगांहो से ताकता है!
अमीरो के कुत्तों के बर्तन को झाकता है!
पूछता है ख़ुदा से इनसान क्यू बनाया!
कुत्ते को दूध ब्रेड विदेशी खाना खिलाया!
क्यू न किसी ने हम पर रहम खाया!
कुत्तों को तो महंगी गाड़ियों में घुमाया!
बच्चे बिलख्ते सड़कों पर हमारे,
क्यू ना किसी ने दिल से लगाया!
अपनी दुःख भरी त्रासदी से होकर बेहाल,
पूछता है ख़ुदा से इनसान क्यू बनाया!
वह अपने इस हालत को जानवर से भी गिरा आंकता है!
फिर आत्मदाह कर मौत की तरफ़ भागता है!
एक गरीब बड़ी लालच भरी निगांहो से ताकता है!
अमीरो के कुत्तों के बर्तन को झाकता है!
"नीरज कि पाति"

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